भगवान श्री कल्कि ने गुरूवर बाल मुकुन्द जी को अपने स्वप्न अनुभव में कहा था कि “ सवा लाख शरीरों में मेरा तेज व्याप्त होगा और एक ही वाणी बोलेगा ” और 1993 में ही कुलदीप कुमार गुप्ता ने यह निश्चित कर लिया कि श्री कल्कि सेना (निष्कलंक दल) के सवा लाख सदस्य ही बनाने हैं और भगवान की भक्ति और राष्ट्र की शक्ति के तेज से उनको आलौकित करना है।
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यह तो अद्भुत बात हुयी, 'सपने का सच' शीर्षक से मैंने कुछ समय पहले एक विज्ञान कथा लिखी थी.आपके उड़ने के स्वप्न अनुभव और कथा नायक के उड़ने के अनुभवों में अत्यधिक या यूं कहें कि पूरा साम्य है.कथा डिजिटल रूप में लाकर आप को भेजूंगा.लगता है ऐसे स्वप्न हमें भविष्य के मनुष्य का पूर्वाभास कराते हैं-जब मनुष्य ख़ुद उड़ सकेगा.मनुष्य की तकनीकी निर्भरता को देख कर यह सम्भव तो नही लगता,पर कौन जाने.